क्या हुआ जो तुमने कहा, नहीं बन सकती मैं आत्म -निर्भर ,
पर खुद को भीड़ से अलग , स्वावलम्बी बना लेने का नाम हूँ मैं !
सदियों तक रौंदा तुमने , मेरे आत्मा-सम्मान को ,
पर इस समाज की भट्टी में जल कर,
कुंदन बन आने का नाम हूँ मैं !
कहा किसी ने मुझे , की नहीं हैं ,
कुछ पा लेने की हस्त -रेखाएं मेरी हथेलियों में !
उन रेखाओं को हथेलियों से छील कर ,
आगे बढ़ आने का नाम हूँ मैं !
क्या हुआ जो तुमने कहा , वो आग नहीं मुझमे ,
पर सूरज की लौ लिए , सब कुछ जला देने और ,
सब कुछ बना देने , का नाम हूँ मैं !
कुछ वक़्त तुम्हारा था , और कुछ मेरा ना था ,
पर वक़्त पे अपना नाम लिख आने का,
नाम हूँ मैं !!
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Published by Sandhya Pandey
I am an IT professional with an iconoclast brain and female chauvinist personality. :)
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Inspirational 👍🏻…keep writing motivational stuff!!!
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Marvellous piece❣
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Thank you so much. 🙂
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Nice poyem
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Thank you so much!
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Very Motivating ….👍
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Thank you 🙂
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कहा किसी ने मुझे , की नहीं हैं ,
कुछ पा लेने की हस्त -रेखाएं मेरी हथेलियों में !
उन रेखाओं को हथेलियों से छील कर ,
आगे बढ़ आने का नाम हूँ मैं !
कितनी जोश के साथ लिखी गई पँक्तियाँ। ये शब्द नही ललकार है।
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आभार आपका !!
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Very deep meaning and motivational 🙏🙏🙏
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Thank you so much..!
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Nyc
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Thanku 🙂
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होसला भरने वाली रचना ।
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बहुत धन्यवाद। .
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सुंदर प्रयास 👌 बेहदख़ूब👏👏👏
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धन्यवाद आपका।
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Amazingly expressed
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Thanku so much
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उर्जा से भरी!!!!
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बहुत धन्यवाद आपका
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अस्तित्व बोलता है कि मैं हूँ।👌👍🎉
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Gr8
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Thanku..
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Nice👏👏
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Thanku 🙂
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सुन्दर कविता
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बहुत धन्यवाद आपका !
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