क्यूँकि यही बिकता है। 

किसी ने कहा , तुम लड़की हो,

छोड़ो ये  वीर रस की कविताएँ।

वीर रस तो पुरुष लिखा करते हैं।

स्त्री द्वारा लिखित वीर रस की कविता कोई नहीं पढ़ेगा।

क्योंकि संघर्ष तो सिर्फ पुरुषों का होता है।

स्त्री तो घर की चार दीवारी की वस्तु  है , उसका क्या संघर्ष ?

लिखना ही है तो मिलन की पहली रात्रि लिखो,

अभी प्रेम की उम्र है तुम्हारी।

अपने प्रेमी के पहले स्पर्श की अनुभूति लिखो।

क्यूँकि यही बिकता है।

 

तो क्या मै ये समझूँ की , संसार स्त्री द्वारा रचित किसी भी रचना को ,

सिर्फ भोग और विलास की वस्तु के रूप में ही देखना चाहता है?

क्यूँकि यही बिकता है।।

 

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9 thoughts on “क्यूँकि यही बिकता है। 

  1. एक अनुरोध है आपसे कृपया करके हिंदी या फिर अंग्रेजी में लिखे बहुत हि सुंदर लगेगा।
    आपकी लेख बेहद उम्दा रहती है🌺😊

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