नारी हूँ मैं , कोई अबला नहीं।
जीवन को अपनी कोख में संभालने का साहस हूँ मैं
नहीं राम की सीता मैं , बल्कि उसके हुए अपमान का प्रतिघात हूँ मैं।
घूँघट नहीं , एक स्वछन्द विचार हूँ मैं।
तुम्हारी भोग की वस्तु नहीं , जीवन चक्र चलाने की शक्ति हूँ मैं।
कह दो तुलसी दास से , उनके समय से आगे का विचार हूँ मैं।
कोई अबला नहीं , देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर देने वाली वीरांगना हूँ मैं.
प्रेमी के अधरों का अनुराग नहीं , बल्कि प्रेम के लिए खुद को जौहर कर देने वाली मर्यादा हूँ मैं।
नारी हूँ मैं , कोई अबला नहीं।
हाँ दिया है प्रभु ने तुम्हे बाहुबल , पर क्या सहशीलता भी दी है तुम्हे ?
सदियों से खुद की इच्छाओं को मार कर , सदैव दूसरों के लिए जीना का सहस भी दिया है तुम्हे ?
क्या कहूं की गौतम बुद्ध की नहीं , बल्कि राहुल का आँचल हूँ मैं
नारी हूँ मैं , कोई अबला नहीं।
Behad sundar…. Sandhya ji
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bht dhanyawaad aapka !!
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Dil choone ki kala hai apme
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Dhanyawaad aapka..
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🙏🙏
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“राहुल का आँचल हूँ मैं” 🙏🎻नारी तुम केवल श्रद्धा हो।
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