खुद की तलाश में हूँ।
कहाँ जा रही हूँ , और कहाँ जाना है , इस तलाश में हूँ।
जो पाया छलावे से , उससे दूर भागने की तलाश में हूँ।
जो पाया सच से , उससे सहेजने की तलाश में हूँ।
खुद की तलाश में हूँ।
इस छल की दुनिया में बहुत आगे निकल आई हूँ
फिर से मुड़ कर वापस उस मकाम पर जाने की तलाश में हूँ।
कोई समझे ये, या की खुद को ही समझा लूँ मैं , इस तलाश में हूँ।
फिर से उन गलियों में जाने की तलाश में हूँ .
कई आघात सहने के बाद , अब। .. उन् आघातों को भरने की तलाश में हूँ।
इस रिसते हुए दर्द को मरहम लगाने की तलाश में हूँ।
हर सुबह उठ कर फिर से खुद को जोड़ने की तलाश में हूँ ,
जो बदल गया , उसे समझने की तलाश में हूँ ।
सब ठीक है , खुद को ये समझाने की तलाश में हूँ ,
बस खुद की तलाश में हूँ।।